Geetayan ।। गीतायन Paperback – 6 January 2021 Hindi Edition by Anand Kumar (Author)
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आनन्द मार्केटिंग एवं मीडिया से स्नातकोत्तर की पढ़ाई के बाद मार्केट एवं सोशल रिसर्च में काम करते हैं। किताब के बारे में आनंद कुमार कहते हैं कि हमने किताब के कवर पर कमल के फूल और पत्तों पर ठहरी बूंदों की तस्वीर दिखाने के क्रम में छल से आपको भगवद्गीता के पांचवे अध्याय का दसवां श्लोक पढ़ा दिया है – *ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः।* *लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा।।5.10* जो सम्पूर्ण कर्मों को भगवान् में अर्पण करके और आसक्ति का त्याग करके कर्म करता है, वह *जल से कमल के पत्ते की तरह* पाप से लिप्त नहीं होता। अगर सच बताएं तो हमने पूरी पुस्तक में यही किया है, आशा है इतने से छल पर आपत्ति नहीं होगी! “मगर इन्हीं अध्यात्मिक-धार्मिक विचारों पर आधारित फ़िल्में तो संसार भर में देखी जा रही हैं? नयी पीढ़ी की इसमें रूचि नहीं, आपको ऐसा क्यों लगता है?” इस तर्क से लोग सहमत होते, लेकिन भारतीय अध्यात्मिक और धार्मिक मान्यताओं को सीधी सरल भाषा में भी लोगों तक पहुँचाया जा सकता है, इसके लिए कोई विशेष प्रयास फिर भी नहीं किये जाते थे। अंततः 2016 में कभी रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों और जानी पहचानी सी कहानियों के साथ ही “गीतायन” की कहानियां लम्बी सोशल मीडिया पोस्ट के रूप में सामने आने लगीं। लम्बे समय तक इन्हें एक जगह इकठ्ठा करने की बात चलती रही और अंततः पिछले चार वर्षों में भगवद्गीता को आसान तरीके से रोजमर्रा की घटनाओं, फिल्मों के दृश्यों में दिखा देने पर लिखे गए लेखों की “गीतायन” अब एक पुस्तक के रूप में है। सिद्धांतों को यथासंभव सरल स्तर पर ही रखा गया है। इससे आगे कहाँ तक पढ़ना है, ये पाठकों पर निर्भर है।
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