“LOCKDOWN, BUS EK DIN AUR । लॉकडाउन, बस एक दिन और Paperback – 11 July 2021 Hindi Edition by REKHA VASHISHTH MALHOTRA (Author)” has been added to your cart. View cart
न्यायालय परिसर से जैसे ही जज साहब निकले वैसे ही उनके मोबाइल पर घंटी बजी। जज साहब प्रायः अनजान नंबरों वाले फोन उठाते नहीं थे। पिछले साल किसी अनजाने नंबर से ही फोन आया था और उधर से खुद को बैंक मैनेजर बता कर उनका अकाउंट लाॅक होने की बात बताई गई थी फिर मोबाइल पर आया हुआ ओटीपी पूछा गया था…. आज भी ठीक-ठीक याद आते हैं वो साढ़े सत्रह हज़ार रुपये…. खैर! दूसरी बार जब रिंग बजी तो जज साहब ने पूरी सतर्कता के साथ पूछा – कौन बोल रहे हैं आप? – सर मैं हजारीबाग जिला न्यायालय से सतेन्दर बाबू। पहचाने सर? जज साहब आश्चर्यचकित होकर बोले – सतेन्दर बाबू! अभी रिटायर नहीं हुए क्या? सर! अगले महीने ही रिटायर्मेंट है। एक लड़की आपके लिए अपनी शादी का कार्ड लेकर आई है। प्रस्तुत अंश मानवेन्द्र मिश्र के कहानी-संग्रह “गीता पर हाथ रख कर” की कहानी “कमीना” से लिया गया है। मानवेन्द्र मिश्र अपनी सहज और स्वाभाविक शैली के लिये जाने जाते हैं। इस कथा – संग्रह के नायक – नायिका प्रायः अपराध और उसकी दण्ड प्रक्रिया के बीच में मानव-मन और उसकी आकांक्षाओं, अवरोधों तथा सामाजिक बंधनों के बीच छटपटाते वो आम लोग ही हैं जैसे हम और आप…. । इस संग्रह की कोई कहानी प्रेम में फैसला लेने से पूर्व सचेत करती है तो कोई कहानी यह बताती है कि एक बार का फैसला गलत हो गया तो भी हिम्मत नहीं हारनी है।कुल मिलाकर यह संग्रह पढ़े जाने योग्य तो है ही साथ ही मनन किये जाने योग्य भी है।
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